अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें। स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री https://shivchalisas.com