ईश् निंदा कभी भी न करें और किसी को भी कभी तीर्थस्थान की यात्रा करने से न रोकें. इन्द्रजाल में रुद्राक्ष के चमत्कारी महारह्स्य गुरु यदि छठे भाव में बैठा है तो लाल किताब के अनुसार वह मुफ्तखोर साधु माना गया है। केतु बारहवें में बैठा शुभ हो तो ही https://shanegmpaa.wssblogs.com/32261343/kismat-ka-upay-fundamentals-explained