अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते। ओम् ऐं ह्रीं हनुमते रामदुते लंकविधवंसने अंजनी गर्भ सम्भुतय शकिनि डाकिनी विध्वंसनाय किलकिली बुबुकरेन विभीषण हनुमददेवय ओम ह्रीं ह्रीं हं फट् स्वाहा जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥ दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।। मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। यह भी पढ़ें इंदौर के पितरेश्वर हनुमान https://ferdinands630dfh9.blogmazing.com/34656585/examine-this-report-on-hanuman-chalisa